मुझे गहरी निंद से
वेबजह जगाने वाले,
मेरी खामोश तन्हाइयों में
परछाई बनकर आने वाले,
तुम हो... बस तुम ही तो हो ।
मेरी हर तमन्नाओं में
अपना रूप दिखाने वाले,
तुम्हे मैं कैसे पुकारुँ ?
क्या नाम दूं ?
अपनी दिवानगी को
कैसे अंजाम दू?
आँखो की मुक भाषा
समझकर भी अन्जान बनने वाले,
मेरी हर ख्वाबोँ/ ख्यालों में
तुम हो......बस् ......तुम ही तो हो !!
2051.11.1



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